निम्नलिखित हदीस को आधार (बुनियाद) बनाकर कुछ लोग कहते हैं कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले बुद्धि और विवेक (अक्ल-औ-हिकमत) कम होता है:
अबू सईद ख़ुदरी से रवायत हैं: “रसूलअल्लाह (स.व) ईद-उल-फ़ित्र या ईद-उल-ज़ुहा के मौके पर नमाज़ के लिए जा रहे थे। वह जब कुछ औरतों के पास से गुज़रे तो फ़रमाया: ‘बावजूद नाकिसात अक्ल वा दीन होने के मैंने तुमसे ज़्यादा किसी को मज़बूत इरादे वाले मर्द के हवास उड़ाते नहीं देखा।’ उन्होंने कहा: ‘रसूलअल्लाह हमारे दीन और दुनिया के मामलों में क्या नक्स है ?’ आप (स.व) ने कहा: ‘क्या औरत की गवाही मर्द से आधी नहीं।’ उन्होंने जवाब दिया ‘हाँ।’ आप (स.व) ने कहा: ‘यह नक्स है उनके दुनिया के मामलों में।’ आप (स.व) ने कहा ‘क्या मासिक धर्म (हैज़) की अवधि में वह नमाज़ पढ़ना और रोज़ा रखना बंद नहीं कर देतीं।’ उन्होंने जवाब दिया ‘हाँ।’ आप (स.व) ने कहा: ‘यह नक्स है उनके दीन के मामले में।’”[1]
यह गलतफ़हमी अरबी वाक्यांश (जुमले) नाकिसात अक्ल वा दीन के गलत अनुवाद (तर्जुमे) से पैदा हुई है। नक्स शब्द का अनुवाद आम तौर पर “दोषयुक्त” (defective) किया गया है जो कि इसके उर्दू अर्थ को ध्यान में रखते हुए किया गया है। जबकि अरबी में क्रिया (verb) نقص (नक्स) का मतलब “कम करने” के हैं[2] और शब्द أقل )अक्ल) का यहाँ मतलब है “सांसारिक मामले” क्योंकि यहाँ यह دين (दीन) शब्द के साथ में इस्तेमाल हुआ है यानी दीन और दुनियावी मामले। पूरा संदर्भ (पसमंजर) ध्यान में रखते हुए सही अनुवाद यह होगा कि महिलाओं के लिए उनके दीन और दुनिया दोनों मामलों में छूट दी गयी है ताकि उन्हें कुछ राहत दी जा सके।
दुनिया के मामलों में, जैसा कि हदीस में भी ज़िक्र हुआ है औरतों की जिम्मेदारियों में राहत दी गयी है और कुछ गतिविधियों और मामलों में उनको घसीटा नहीं गया है। उदाहरण के तौर पर कुरआन ने ज़ोर दिया है कि क़ानूनी दस्तावेजों पर मर्द गवाही दें ताकि औरत को अदालत और उसके मामलों में पड़कर चक्कर काटने से राहत दी जा सके और उनकी जगह मर्द यह ज़िम्मेदारी उठायें।
दीन के मामलों में यह राहत दी गयी है कि मासिक धर्म के समय उन्हें नमाज़ पढ़ने, रोज़ा रखने की ज़रूरत नहीं है जैसा कि हदीस में भी उल्लेख किया गया है।
यह हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए कि एक शब्द का अर्थ दो अलग भाषाओं में हमेशा एक नहीं रहता। उदाहरण के तौर पर غليظ शब्द का अर्थ अरबी भाषा में “दृढ़ और मज़बूत” होता है और उर्दू भाषा में “गंदा”, कुरआन में (4:21) शादी को ميثاق غليظ (मज़बूत अनुबंध) कहा गया है।
इसके अलावा, जो लोग इस हदीस की बुनियाद पर औरतों को कम अक्ल मानते हैं उन्हें एहसास नहीं होता कि हदीस में नाकिसाते अक्ल ही नहीं नाकिसाते दीन भी कहा गया है। अब अगर नाकिसाते अक्ल से मतलब यह है कि उनकी अक्ल में दोष है तो फिर इसी बुनियाद पर नाकिसाते दीन से यह मतलब निकलना चाहिए कि उनके दीन में भी दोष है जो कि निश्चित रूप से असंगत और बेतुकी बात है और अरबी वाक्य में शब्द का उर्दू अर्थ लेने का नतीजा है।
– शेहज़ाद सलीम
अनुवाद: मुहम्मद असजद