ग़लतफहमियां महिलाओं से संबंधित सामाजिक मुद्दे

इस्लाम में गुलाम और लौंडी  

लेखक:  जावेद अहमद ग़ामदी संकलन: शेहज़ाद सलीम अनुवाद : मुहम्मद असजद इस्लाम के बारे में कई अन्य गलत धारणाओं (तसव्वुर) में से एक धारणा यह भी है कि इस्लाम गुलामी को मंजूरी देता है और अपने मानने वालों को इजाज़त देता है कि वह युद्ध के कैदियों, खासकर महिलाओं को दासी बनाएं और उनसे विवाहेतर (extra-marital) संबंध रखें।…

Javed Ahmad Ghamidi: A brief Introduction to his life and works
Fundamental Principles History Islam Jihad Misconceptions Political Issues Qur'an Qur'an Exegesis Reflections

Javed Ahmad Ghamidi: A brief Introduction to his life and works

Author: Ammar Baksh A short, humble, witty old man has been creating tremors in the world of Islam that a few have noticed and many do not want to. He has explored almost every old school and has set out to restructure the age-old narratives of Islam. Javed Ahmad Ghamidi is a force to be…

An Interview of Javed Ahmad Ghamidi with an Indian News Channel
Islam Misconceptions Reflections

An Interview of Javed Ahmad Ghamidi with an Indian News Channel

This writing is based on the transcript of the interview of Javed Ahmad Ghamidi with Lemon News, India in 2013. You can watch the complete programme here. Host: Islam is a well established religion, and is meant to exist forever. However, with time and rapid changes in global politics, the understanding and image of Islam have…

Economic Issues आर्थिक मुद्दे सवाल-ओ-जवाब

क्या गैर-मुसलमानों से सूद लिया जा सकता है ?

कुछ विद्वानों (आलिमों) की राय हैं कि गैर-मुसलमानों से सूद लिया जा सकता है। यहाँ यह समझ लेना चहिए कि इंसानों से सूद लेना हराम किया गया है, चाहे वह मुस्लिम हो या गैर-मुस्लिम क्योंकि यह एक अनैतिक अनुबंध (गैर-अखलाकी माएहदा) है। जो चीज़ें अनैतिक हैं वह मना हैं, चाहे मुसलमानों से संबंधित हों या गैर-मुस्लिमों…

Economic Issues Uncategorized आर्थिक मुद्दे ग़लतफहमियां

व्यावसायिक ब्याज़ (Commercial Interest)

 कुछ लोग सोचते हैं कि व्यापारिक उपक्रमों (commercial enterprises) से लिया जाने वाला सूद निषिद्ध (हराम) नहीं है। इस ग़लतफहमी को दूर करते हुए ग़ामिदी साहब लिखते हैं[1]: यह साफ रहना चाहिए कि रिबा  का मतलब इससे तय नहीं होता कि क़र्ज़ निजी ज़रूरत, व्यापार या फिर कल्याण परियोजना (welfare scheme) के लिए लिया गया है। तथ्य यह है कि अरबी भाषा…

Economic Issues आर्थिक मुद्दे ग़लतफहमियां सवाल-ओ-जवाब

किसी नेक काम के लिए सूद लेना 

कुछ लोगों का मानना है कि सूद (ब्याज़) आधारित योजनाओं में पैसा लगाया जाना चाहिए ताकि कमाये गए सूद से जन-कल्याण परियोजनाओं (public welfare schemes) में निवेश (invest) किया जा सके और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सके। यहाँ यह बात साफ़ कर लेनी चाहिए कि सूद लेना इस्लाम में पूरी तरह मना है चाहे वह किसी…

Uncategorized इबादत (उपासना पद्धति) सवाल-ओ-जवाब

वुज़ू और नेल पॉलिश

जावेद अहमद ग़ामिदी  अनुवाद: मुहम्मद असजद नाखूनों पर किसी ना किसी तरह की सामग्री से रंग करना आमतौर पर महिलाओं के बनाव-श्रृंगार का हिस्सा है। आज के दौर में अलग-अलग तरह की नेल पॉलिश इसके लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इसके नतीजे में यह सवाल उठता है कि ऐसे में वुज़ू किस तरह होगी ?…

Uncategorized ग़लतफहमियां जिहाद पवित्र कुरआन राजनीतिक मुद्दे विचार विमर्ष सामाजिक मुद्दे

ख़िलाफ़त

["इसलाम और रियासत – एक जवाबी बयानिया” पर ऐतराज़ात के जवाब में लिखा गया लेख] जावेद अहमद ग़ामिदी  अनुवाद: आक़िब ख़ान इसमें शक नहीं कि “ख़िलाफ़त” का लफ़्ज़ कई सदीयों से “इस्तिलाह”* के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन ये हरगिज़ कोई “मज़हबी इस्तिलाह” नहीं है। मज़हबी इस्तिलाह राज़ी, ग़ज़ाली, मावरदी, इब्न हज़म और इब्न ख़लदून** के बनाने से नहीं बनती और ना ही हर वो लफ़्ज़ जिसे मुसलमान किसी ख़ास मायने में इस्तेमाल करना…

Jihad Misconceptions Political Issues Uncategorized अन्य धर्म ग़लतफहमियां जिहाद राजनीतिक मुद्दे विचार विमर्ष

इसलाम और रियासत (एक जवाबी बयानिया) – The Counter Narrative

जावेद अहमद ग़ामिदी  अनुवाद: आक़िब ख़ान इस समय जो हालात कुछ इंतिहापसंद तहरीकों ने अपनी कार्रवाइयों से इसलाम और मुसलमानों के लिए पूरी दुनिया में पैदा कर दी है, ये उसी विचारधारा का बुरा नतीजा है जो हमारे मज़हबी मदरसों में पढ़ा और पढ़ाया जाता है, और जिसका प्रचार इस्लामी तहरीकें और मज़हबी सियासी संगठन…

Economic Issues आर्थिक मुद्दे ग़लतफहमियां

सूद और किराए का फ़र्क

कुछ लोग सूद (ब्याज) लेने को सही साबित करने के लिए कहते हैं कि जिस तरह किसी चीज़ को इस्तेमाल के लिए लेने वाले से किराया लिया जाता है उसी तरह सूद भी उधार दिए गए पैसों के किराए समान ही है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह तर्क देते हैं कि जिस तरह एक व्यक्ति…