इबादत (उपासना पद्धति) इस्लाम ईमानियात (मान्यताएं) ग़लतफहमियां राजनीतिक मुद्दे रिवाज और शिष्टाचार विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे सुन्नत हदीस

नया चांद देखने का मुद्दा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/rooyat_e_hilal.pdf नया चांद देखने का मुद्दा अल्लाह तआला ने रोज़े रखने के लिए रमज़ान और हज करने के लिए ज़िलहिज का महीना तय किया है। यो दोनों चांद के महीने (चन्द्रमास) हैं, इसलिए यह सवाल शुरू से ही विवाद का विषय रहा है कि इन महीनों का निर्धारण कैसे किया जाए। खगोलशास्त्र…

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इज्तेहाद

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/ijtehad.pdf इज्तेहाद किसी मामले में दीन व शरीअत के निर्देश को समझने की कोशिश करने को ‘इज्तेहाद’ कहते हैं। यह कोशिश तब की जाती है जब किसी मामले में क़ुरआन की आयतों या पैग़म्बर सल्ल. की सही हदीसों से कोई सीधी जानकारी न मिलती हो और क़ुरआन व सुन्नत के समस्त निर्देशों…

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दीन का स्रोत

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Deen_ka_source.pdf दीन का स्रोत अल्लाह ने इंसान को पैदा किया तो दो चीज़ें उसके अन्दर रख दींः एक यह भावना कि उसका एक बनाने वाला या पैदा करन वाला है जो उसका मालिक है। दूसरी यह भावना या समझ कि क्या काम अच्छा है और क्या बुरा है? इन दोनों भावनाओं के…

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इस्लाम के मौलिक सिद्धांत

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Islam_ke_maulik_siddhant.pdf इस्लाम के मौलिक सिद्धांत हमने दीन को जिस तरह समझा है, उसमें तीन चीज़ें मौलिक सिद्धांतों के रूप में हैः पहला यह कि क़ुरान सत्य व असत्य को अलग अलग करने वाली कसौटी और तराज़़ू (‘‘फ़ुरक़ान “ और ‘‘मीज़ान”) है और जो भी आसमानी संदेश जहां कहीं भी जब कभी भी…

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दाढ़ी रखने और पाजामा नीचे न लटकाने का मुददा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Darhi_aur_izar.pdf दाढ़ी रखने और पाजामा नीचे न लटकाने का मुददा दाढ़ी मर्द रखते रहे हैं। पैग़म्बर सल्ल. ने  भी दाढ़ी रखी हुई थी। आपके मानने वालों में कोई शख़्स अगर आपके साथ अपने दिली सम्बंध और आपकी नक़ल करने के जज़्बे से दाढ़ी रखता है तो इसे सवाब की बात समझ सकते…

हदीसों की स्वतंत्र व्याख्या
ग़लतफहमियां हदीस

हदीसों की स्वतंत्र व्याख्या

हदीस की व्याख्या (तशरीह) में आम तरीका है कि हर हदीस को स्वतंत्र रूप से समझा जाता है भले ही खबर के अलग-अलग संस्करण हों जिनमें अलग बाते बयान हो रही हों। इसका नतीजा यह निकलता है कि वह पूरी तस्वीर सामने नहीं आ पाती जिसके बारे में हुक्म दिया गया था और अधूरी जानकारी…

ग़लतफहमियां हदीस

हदीसें कुरआन जितनी ही प्रामाणिक हैं ?

कुछ विद्वान (आलिम) मानते हैं कि हदीसें कुरआन जितनी ही प्रामाणिक और विश्वसनीय (मुस्तनद और भरोसेमंद) हैं[1]। यह राय ठीक नहीं है। जहाँ कुरआन की प्रमाणिकता जाँचने की ज़रूरत नहीं है वही हदीस की सनद (उसे बयान करने वालो की श्रृंखला) और उसके मतन (मूलपाठ, जो बात उसमें बयान हुई है) दोनों ही को जाँचना…

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हदीसों से कुरआन की व्याख्या

कुछ विद्वानों का मानना है कि कुरआन की व्याख्या (तशरीह-तफसीर) हदीसों पर निर्भर है और कुरआन को हर हाल में सिर्फ हदीसों के ज़रिये ही समझा जाना चाहिए। हालांकि, कुरआन खुद मिज़ान और फुरक़ान की हैसियत रखता है और कुरआन का यह स्थान ज़ोर देता है कि बाकी हर चीज़ की व्याख्या कुरआन की रौशनी और उसके मार्गदर्शन में होनी…

ग़लतफहमियां सुन्नत हदीस

सुन्नत और हदीस का फ़र्क

अकसर सुन्नत और हदीस दोनों शब्दों को पर्यायवाची या एक ही चीज़ समझा जाता है, लेकिन दोनों की प्रामाणिकता (सच्चाई) और विषय-वस्तु (मोज़ू) में बहुत अंतर है। रसूलअल्लाह (स.व) के कथन (क़ौल), कार्य (फेअल) और स्वीकृति एवं पुष्टि (इजाज़त और तस्दीक) की रिवायतों (लिखित परंपरा) या ख़बरों को इस्लामी परिभाषा में ‘हदीस’ कहा जाता है।  यह हदीसें इस्लाम के…

हदीस

हदीस अध्ययन के उसूल (सिद्धान्त)

लेखक – जावेद अहमद ग़ामिदी अनुवाद और टीका – मुश्फ़िक़ सुलतान नबी (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) के क़ौल (कथन), फेअल (कार्य) और 'तक़रीर-व-तस्वीब'[1] (स्वीकृति एवं पुष्टि) की रिवायतों (उल्लेख परंपरा) को इस्लामी परिभाषा में 'हदीस' कहा जाता है।  यह रिवायतें अधिकतर 'अखबार–ए-आहाद'[2] के तौर पर हम तक पहुंची हैं। इनके बारे में यह बात तो स्पष्ट…