इस्लाम दावत विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

हमारी दावत

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/hamari_dawat.pdf हमारी दावत दीन अल्लाह तआला की हिदायत है जो अल्लाह ने पहले इंसान की प्रकृति और स्वभाव में रखी और उसके बाद उसकी सभी ज़रूरी तफ़्सील (विवरण) के साथ अपने पैग़म्बरों के माध्यम से इंसान को दी है। इस सिलसिले की आख़री कड़ी पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हैं। इस लिहाज़…

इस्लाम विचार विमर्ष सवाल-ओ-जवाब सामाजिक मुद्दे

आम व ख़ास

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Aam_wa_Khaas.pdf आम व ख़ास दुनिया की किसी भी भाषा में यह तरीक़ा नहीं है कि हर शब्द एक ही अर्थ और हर शैली एक ही मक़सद के लिए विक्सित हुई हो। आम तौर से शब्दों के बहुत से अर्थ होते हैं। इसलिए यह फ़ैसला करना कि किसी कलाम में कोई शब्द किस…

इस्लाम ग़लतफहमियां दण्ड विधान सामाजिक मुद्दे

दियत की वास्तविकता

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Diyat_ki_Wastawikta.pdf दियत की वास्तविकता दियत क़ुरआन की एक शब्दावली है जो किसी की हत्या के अपराधी द्वारा अपनी जान बचाने के लिए मृतक के परिजनों को मुआवज़े के रूप में दी जाने वाली रक़म के लिए इस्तेमाल हुई है। यहां इस शब्द के अर्थ पर चर्चा की गयी है जिसके लिए लेखक…

इस्लाम ग़लतफहमियां महिलाओं से संबंधित सवाल-ओ-जवाब

गवाही का क़ानून

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Gawahi_ka_Qanoon.pdf गवाही का क़ानून (दूसरा अध्याय) अपराध के सूबुत के लिए क़ु़रआन ने किसी ख़ास तरीक़े की पाबन्दी को ज़रुरी नहीं किया है, इसलिए यह बिल्कुल निश्चित बात है कि इस्लामी क़ानून में अपराध उन सब तरीक़ो से साबित होता है जिन्हें क़ानून की नैतिकता में अपराध के सुबूत के तरीक़ों के…

इस्लाम ग़लतफहमियां दण्ड विधान सामाजिक मुद्दे

रजम की सज़ा

Download eBook(pdf) : https://www.studyislam.in/hindi/Rajam_ki_Saza.pdf रजम की सज़ा (विवाहित मर्द या औरत पर ज़िना (व्यभिचार) का जुर्म साबित होने पर उसे पत्थरों से मार कर हिलाक करने की सज़ा का बयान सही हदीसों में आया है। इसे ‘रजम’ करना कहते हैं। इस लेख में लेखक ने इसी विषय पर चर्चा की है। यह लेख मौलाना अमीन…

इस्लाम ग़लतफहमियां जिहाद पवित्र कुरआन राजनीतिक मुद्दे सवाल-ओ-जवाब

ख़ुदा के फ़ैसले !

रसूलों की तरफ़ से इत्मामे हुज्जत1 के बाद अगर उनको और उनके साथियों को ज़मीन के किसी हिस्से में सत्ता मिल जाए तो ख़ुदा का फ़ैसला है कि उनका इन्कार करने वालों के लिए दो ही सूरतें हैं: उनमें अगर मुशरिकीन (बहुदेवतावादी) होंगे तो क़त्ल कर दिए जाएँगे और किसी न किसी दर्जे में तौहीद…

इस्लाम

सूरा फ़ातिहा – अल-बयान

‘‘अल्लाह के नाम से जो सरासर रहमत है जिसकी शफ़क़त अबदी है।1
शुक्र2 अल्लाह3 ही के लिये है, आलम का परवरदिगार4 है सरासर रहमत है, जिसकी शफ़क़त अबदी है5 जो रोज़े जज़ा का मालिक है।6
1. यह आयत सूरे तौबा के सिवा क़ुरआन मजीद की हर सूरा के शुरू में बिल्कुल उसी तरह आई है, जिस तरह यहां है। लेहाज़ा यह क़ुरआन की एक आयत तो ज़रूर है और इसकी सूरतों के शुरू में इसी तरह नाज़िल हुई है और अल्लाह तआला के हुक्म से लिखी गई है। लेकिन अपने इस महल में सूरे फ़ातेहा समेत किसी सूरत की भी आयत नहीं है। बल्कि हर जगह सूरे से अलग अपनी एक मुस्तक़िल हैसियत रखती है। (इक़रा अलन्नास का मफ़हूम इसमें अरबियत की रू से पिन्हा है) यानी अल्लाह, रहमान व रहीम के नाम से यह क़ुरआन लोगों को पढ़ कर सुनाओ ऐ पैग़म्बर! चुनांचे इस लिहाज़ से देखिये तो गोया ‘बे’ सनद के मफ़हूम में है और यह क़ुरआन मजीद और नबी सल्लाहो अलैहि वसल्लम से मुताल्लिक़ तौरात की उस पेशनगोई का ज़ुहूर है जिसमें बताया गया है कि आप ख़ुदा का कलाम ख़ुद उसी के नाम से लोगों के सामने पेश करेंगे। (इसतस्ना में है)।

इस्लाम

दीन और अक़ल

लेखक: जावेद अहमद गामिदी अनुवादक : मुश्फ़िक़ सुल्तान हमारे यहाँ लोग अक्सर कहते हैं कि दीन का अक़ल से क्या संबन्ध? यह तो बस मान लेने की चीज़ है। इस के लिए अली रज़ी अल्लाहो अनहु का यह कथन दलील के तौर पर पेश किया जाता है कि दीन के अहकाम (आदेश) अगर अक़ल पर…