ग़लतफहमियां महिलाओं से संबंधित सामाजिक मुद्दे

इस्लाम में गुलाम और लौंडी  

लेखक:  जावेद अहमद ग़ामदी संकलन: शेहज़ाद सलीम अनुवाद : मुहम्मद असजद इस्लाम के बारे में कई अन्य गलत धारणाओं (तसव्वुर) में से एक धारणा यह भी है कि इस्लाम गुलामी को मंजूरी देता है और अपने मानने वालों को इजाज़त देता है कि वह युद्ध के कैदियों, खासकर महिलाओं को दासी बनाएं और उनसे विवाहेतर (extra-marital) संबंध रखें।…

निकाह और तलाक़

तलाक़ संबंधित मामले

ज़्यादातर लोग तलाक़ देने का सही तरीका नहीं जानते और आमतौर पर यह माना जाता है कि तीन बार तलाक़ बोल देने पर तलाक़ हो जाती है और पति-पत्नी का रिश्ता खत्म हो जाता है। यह धारणा कुरआन के विरुद्ध (खिलाफ) है। कुरआन में तलाक़ का तरीक़ा विस्तार से दिया गया है और वह इस…

निकाह और तलाक़

हलाला

यह कहा जा सकता है कि हलाला[1] की अवधारणा (तसव्वुर) इस्लामी न्यायशास्त्र (फ़िक्हा) का सबसे शर्मनाक मुद्दा है। शरीअत के अनुसार, अगर पति अपनी पत्नी को तीसरी बार तलाक़ दे देता है तो वह दोनों फिर से शादी नहीं कर सकते सिवाय इसके कि पत्नी किसी और से शादी कर ले और वहां से भी उसे तलाक़…

Social Issues अन्य धर्म ग़लतफहमियां दावत सामाजिक मुद्दे

क्या गैर-मुस्लिमों से दोस्ती नहीं की जा सकती ?

कुरआन की निम्नलिखित आयत की बुनियाद पर कुछ मुसलिम विद्वान (आलिम)[1] यह राय रखते हैं कि मुसलमानों को गैर-मुस्लिमों से मित्रता नहीं रखनी चाहिए, बल्कि उन्हें उनके लिए दुश्मनी और नफ़रत भरा रवैया रखना चाहिए: لَّا يَتَّخِذِ الْمُؤْمِنُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ [٣: ٢٨]  ईमान वाले अब मुसलमानों को छोड़कर इन काफिरों को अपना दोस्त ना बनायें। (3:28)…

Political Issues राजनीतिक मुद्दे

क्या एक मुसलमान शासक बहुमत के फैसले को बदल सकता है ?

लेखक: शेहज़ाद सलीम                                                                                          अनुवाद: मुहम्मद असजद आमतौर निम्नलिखित आयत की बुनियाद पर यह…