यह आम धारणा (तसव्वुर) है कि सारे गैर-मुसलमानों का नरक में जाना तय है। कुरआन की कुछ आयात को इस बात का आधार बनाया जाता है, जैसे की निम्नलिखित आयत:
إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ وَالْمُشْرِكِينَ فِي نَارِ جَهَنَّمَ خَالِدِينَ فِيهَا ۚ أُولَٰئِكَ هُمْ شَرُّ الْبَرِيَّة ٩٨: ٦
अहले किताब (यहूदी और ईसाई) और मुशरिकीन (बहुदेववादियों) में से जिन लोगों ने इनकार कर दिया है, वह यकीनन नरक की आग में जायेंगे। यह लोग सब से बुरे प्राणी हैं। (98:6)[1]
यहाँ यह बात समझ लेनी चाहिए कि यह आयात रसूलअल्लाह मुहम्मद (स.व) के समय के अहले किताब और मुशरिकीन के बारे में हैं जिन्होंने सच को पहचान लेने के बाद भी जानते-बुझते मुहम्मद (स.व) के सन्देश को मानने से इनकार कर दिया था। जहाँ तक बाद के समय के गैर-मुसलमानों का सवाल है तो वह नरक के भागीदार सिर्फ तब बनेंगे जब वह ईमानदारी के साथ सच की तलाश नहीं करेंगे और मुहम्मद (स.व) अल्लाह के रसूल हैं इस बात पर आश्वस्त (मुतमईन) होने के बाद भी मानने से इनकार कर देंगे।
– शेहज़ाद सलीम
अनुवाद: मुहम्मद असजद